राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 19 अक्टूबर को बिहार के मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में भाग लिया और छात्रों को संबोधित किया।
बिहार के मोतिहारी में स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित पहला दीक्षांत समारोह का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शपथ दिलाई।
राष्ट्रपति का संबोधन
दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा, कि मैं महात्मा गांधी द्वारा भारत में किए गए पहले सत्याग्रह की स्मृति में स्थापित विश्वविद्यालय के छात्र हैं। इस विश्वविद्यालय के छात्र होने के नाते, वे एक अमूल्य विरासत से जुड़े हुए हैं, जिसका सम्मान पूरी दुनिया में किया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा, कि गांधी की विरासत को समझने और आत्मसात करने के लिए सादगी और सच्चाई के अच्छे परिणामों को समझना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सादगी और सच्चाई का मार्ग ही वास्तविक सुख, शांति और प्रसिद्धि का मार्ग है। उन्होंने विद्यार्थियों से बापू की शिक्षाओं के अनुसार मन, वाणी और कर्म से सदैव सत्य के राह पर चलने का संकल्प लेने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि गांधी ने अहिंसा, करुणा, नैतिकता और निस्वार्थ सेवा के आदर्शों में लोगों का विश्वास बढ़ाया है। उन्होंने हमारे समाज, राजनीति और अध्यात्म को भारतीयता के साथ बहुत गहराई से जोड़ा है। विश्व समुदाय में अनेक लोग गांधीजी में भारत का मूर्त रूप देखते हैं।
राष्ट्रपति ने बताया कि ऐतिहासिक चंपारण सत्याग्रह का समाज के ताने-बाने पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। उस आंदोलन के दौरान सभी लोग जातिगत भेदभाव को किनारे रखकर एक-दूसरे के साथ खाना बनाने और खाने लगे।
लगभग 106 साल पहले गांधी के कहने पर चंपारण के लोगों ने सामाजिक समानता एवं एकता का मार्ग अपनाया और अंग्रेजी हुकूमत को झुकने पर मजबूर कर दिया। आज भी सामाजिक समानता और एकता का वही मार्ग हमें आधुनिक और विकसित भारत के पथ पर आगे ले जाएगा।